राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि अगर उन्हें दी जाने वाली पटकथा हिंदी में नहीं होती, तो वह उसे नहीं पढ़ते हैं। वह गर्व से हिंदी में पटकथा मांगते हैं। बाजपेयी ने आगामी फिल्म 'अलीगढ़' में एक समलैंगिक प्रोफेसर का किरदार निभाया है।
यहां आयोजित साहित्य महोत्सव 'लिट-ओ-फेस्ट' में बाजपेयी ने कहा, "मैं हिंदी भाषा को लेकर काफी जुनूनी हूं। 'सत्या' ने मुझे व्यावसायिक तौर पर सफल अभिनेता बनाया और इसके बाद मैं इस स्थिति में आ गया कि अपनी मांगे रख सकूं, जिसके बाद मैंने फैसला किया कि जो पटकथा हिंदी में नहीं होगी, मैं उसे नहीं पढूंगा। इस मामले में मैं काफी अड़ियल हूं।"
अभिनेता ने यह भी कहा कि हिंदी भाषा उनकी ताकत है।
अमिताभ बच्चन का उदाहरण देते हुए अभिनेता ने कहा, "अमित जी अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के काम के बड़े समर्थक और अनुयायी हैं। वह विभिन्न तरीकों से उनके काम को जनता के समक्ष पेश करते हैं। तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हिंदी लेखकों और कवियों को प्रोत्साहित करें, इससे हम अपनी हिंदी भाषा को शीर्ष पर स्थापित करने में बड़ा योगदान दे सकेंगे।"

Saturday, February 27, 2016 13:30 IST