फिल्म समीक्षा: 'एक विलेन' रोमांच और रोमांस का मनोरंजक मेल है

Saturday, June 28, 2014 16:28 IST
By Santa Banta News Network
स्टार कास्ट: सिद्धार्थ मल्होत्रा, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख, आमना शरीफ

निर्देशक: मोहित सूरी

रेटिंग:***

​फिल्म बेहद रोमांचक, रोमांटिक और दर्शकों को अंत तक बांध कर ऱखने में कामयाब है। अब तक महेश भट्ट के साथ रहकर फ़िल्मी गुर सीखने वाले मोहित सूरी की यह 'आशिकी 2' के बाद दूसरी फिल्म है, जो उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर निर्देशित की है। जहाँ उन्होंने पहली फिल्म में रोमांस जैसे साधारण विषय को लेकर एक असाधारण प्रोजेक्ट तैयार किया था इस बार उन्होंने अपनी रोमांटिक कला को एक्शन और थ्रिल के साथ मिक्स कर दिया है।

​फिल्म की कहानी 'एक विलेन' यानी गुरु (सिद्धार्थ मल्होत्रा' की है जो एक गैंगस्टर सीजर (रेमो फर्नाडीज) के लिए ​गोवा में ​काम करता है।​ जो बेहद कठोर, और बेरहम किस्म का विलेन है और जिसकी नजऱ में इंसानी जीवन की कीमत कुछ भी नहीं है। लेकिन ऐसे इंसान की मुलाकात जब एक खूबसुरत, जिंदादिल लड़की आयशा (श्रद्धा कपूर) से होती हैं जो एक गंभीर जानलेवा बीमारी की शिकार है, तो इस विलेन का दिल पिंघलना शुरु हो जाता है।

​दोनों एक दूसरे से बिलकुल अलग है। लेकिन जब दोनों एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो प्यार भी हो जाता है। अब गुरु अपनी पिछली जिंदगी से निकलकर आयशा के साथ एक नई दुनिया बसाना चाहता है। वह उस से शादी भी करता है और गोवा से मुंबई आकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करता है। लेकिन किस्मत ने उनके लिये कुछ और ही तय किया हुआ है।

अब जब दोनों 'हैप्पी लाइफ' जीना शुरू करते हैं, तो उनकी जिदंगी में एंट्री होती है उनके लिए एक घातक तत्व यानी राकेश (रितेश देशमुख) की जो उनकी शांत जिदंगी में फिर से तूफ़ान ला देता है। इसके आगे क्या होता है, और कहानी क्या मोड़ लेती है इसी पर आधारित कहानी है 'एक विलेन'।

​फिल्म दक्षिणी कोरियन 'आई सॉ द ड़ेविल' ​से प्रेरित है, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले उस फिल्म में खून खराबा ज्यादा था लेकिन इस बार 'एक विलेन' में खून खराबे के साथ रोमांस भी जोड़ दिया गया है।

​​फिल्म की थीम एक ऐसी मोहक और परियों वाली प्रेम कहानी है, जिसमें एक मासूम लड़की है, जो सिर्फ कुछ दिनों की मेहमान है, लेकिन फिर उसकी जिदंगी में एक लड़का आता है, जो वैसे तो एक विलेन है, जिसे मुस्कुराना बिलकुल भी नहीं आता, और इंसानी जिंदगी उसके लिए मायने नहीं रखती, लेकिन जब वह इस मासूम लड़की के संपर्क में आता है तो वह अपनी पुरानी जिंदग़ी से निजात पाने के लिए छटपटाने लागता है। और इसी विषय को बेहद फ़िल्मी तरीके से आम लेकिन खास तरीक़े से पेश किया गया है, जो दर्शकों के मन में उत्सुकता बनाए रखती है।

​वहीं अगर फिल्म की कहानी की गुणवत्ता, स्क्रीनप्ले और सिनेमैटोग्राफी की बात की जाए तो, यह एक रोमांटिक सस्पेंस-थ्रिलर है, लेकिन वास्तविकता ये भी है कि फिल्म में हर वह तत्व मौजूद है, जिसकी एक फिल्म में दर्शकों के भरपूर मनोरंजन के लिये जरूरत होती है। ​फिल्म के स्क्रीनप्ले की बारे में जो सबसे अच्छी बात है, वो है इसका सामंजस्य ​के साथ आगे बढ़ना। वहीं विष्णु राव की सिनेमेटोग्राफी भी फ़िल्म के लेखक कथाकार की कल्पना ​को उसी तरह से पर्दे पर उतारने में कामयाब है। लेकिन फिल्म में एक और खास बात है, और वो है उसका बैकग्राउंड म्यूजिक जिसने फिल्म के दृश्यो को और भी मनोरंजक बना दिया है।

फिल्म का संगीत पहले ही काफी लोकप्रियता बटोर चुकाए है। ​फिल्म के गीत जैसे 'गलियां', 'बंजारा' और 'जरूरत' समेत सभी गाने काफी बेहतरीन बनें है।

​कहा जा सकता है कि अभिनय के मामलें में फिल्म के सभी कलाकरों की लिये एक नई शुरुआत होगी। सिद्धार्थ मल्होत्रा जिन्होंने 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से एक रोमांटिक हीरो के रूप में शुरुआत की इसके बाद 'हंसी तो फंसी' के बाद उनकी एक रोमांटिक हीरो की ही इमेज बन गई थी। लेकिन इस फिल्म में उन्होंने जो ग्रे भूमीका निभाई हैं उससे उन्होंने अपने आप को एक वास्तविक कलाकार साबित कर दिया है। ​सिद्धार्थ फिल्म के कुछ दृश्यों में बेहद उम्दा लगे हैं। जो दर्शकों को पलक ना झपकाने की लिये मज़बूर कर देते हैं। वहीं श्रद्धा कपूर की छवि भी उनकी पहली फिल्म के बाद एक रोमांटिक अभिनेत्री की ही थी, लेकिन इस बार वह काफी जिंदादिली और ग्लैमर्स नजऱ आइ है। इसके अलावा उनकी मासूमियत दर्शकों के दिलों में उनकी जगह बनाने के लिए काफी है।

लेकिन फिल्म में सबसे खास ज़िक्र और तारीफ़ रितेश देशमुख का करना चाहिए। उन्होंने दर्शकों को पूरी तरह से चौंका दिया है। अब तक रोमांटिक और कॉमेडी वाले हलके-फुल्के किरदारों के बाद चॉकलेटी ब्यॉय ने खतरनाक विलेन के रूप में बेहद ठोस एंट्री मारी है। उन्होंने उनके बारे में राय राख्ने वाले निर्देशकों और निर्मताओं को एक बेहद दमदार संदेश दिया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि उनकी जो छवि अब तक़ दर्शकोँ और निर्माताओ के मन में बनी हुई थी वह उस से अभिनय क्षमता के मामले में कहीं आगे हैं।​​

वहीं उनके अलावा ​रितेश की पत्नी के रूप में आमना शरीफ ​बेहद सहज और वास्तविक दिखी हैं। प्राची देसाई ने भी अपनी घरेलू और सुशील लड़की के कवर को ऊतार कर ग्लैमर और सैक्सी लुक में नजर आई है।​

कुल मिलाकर फिल्म एक 'पावरफुल एंटरटेनर' है। जिसका दर्शक कहानी जानने के बाद भी लुत्फ़ उठाते हैं। हालाँकि फिल्म कहीं-कहीं थोड़ी धीमी महसूस हो सकती है लेकिन उनपर फिल्म के किरदारों का अभिनय औऱ दूसरे दमदार दृष्य भारी पडते हैं।
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