गायक-संगीतकार लकी अली की गायन शैली और मधुर आवाज संगीत प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह बात उनकी हालिया लाइव प्रस्तुति से साबित हो गई। लकी कहते हैं कि संगीत उत्सव स्थानीय प्रतिभाओं को एक प्रोत्साहन देते हैं।
लकी ने रविवार को किंगफिशर प्रीमियर के 10वें संस्करण 'द गेट्र इंडिन अक्टूबर फेस्ट' (टीजीआईओएफ) में प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
वह कहते हैं कि भारत में संस्कृति का यह आदान-प्रदान अच्छा है। 56 वर्षीया लकी ने आईएएनएस को बताया, "मुझे संगीत उत्सवों में दिखता है कि वे स्थानीय प्रतिभा और कला को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए राजस्थानी लोक संगीत द ग्रेट इंडियन अक्टूबर फेस्ट का एक हिस्सा है।"
लकी 'ओ सनम', 'अनजानी राहों में', 'एक पल का जीना' और 'ना तुम जानो ना हम' सरीखे सफल गीत गाने के लिए जाने-जाते हैं। उन्होंने यहां ई-जोन क्लब में अपनी लाइव प्रस्तुति के दौरान बेंगलुरू के लोगों को अपना दीवाना बना लिया।
उन्होंने 'तेरा ये आशियाना', 'देखा है ऐसे भी', 'जाने क्या ढूंढता है ये मेरा दिल', 'मोहब्बत की कसम' और 'आ भी जा' जैसे मशहूर गानों से श्रोताओं का दिल जीत लिया।
लकी ने शहर में प्रस्तुति देने के बारे में कहा, "बेंगलुरू मेरे घर जैसा है और मुझे उन सभी से हमेशा ही ढेर सारा प्यार और अपनापन मिला है।"
वर्ष 1996 में अपनी पहली एलबम 'सुनो' लांच करने वाले लकी ने कहा, "यह अच्छा लगता है।" लकी ने संगीत समारोहों में प्रस्तुति देना, बॉलीवुड में गीत गाने से लेकर एलबम निकालना बहुत कुछ किया है और आगे भी करना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं तय की हुई हैं।
तीन दिवसीय संगीतोत्सव टीजीआईओएफ रविवार को संपन्न हुआ।

Tuesday, October 21, 2014 15:02 IST