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कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ;
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ;
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू;
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।

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मोहब्बत के भी कुछ राज़ होते हैं;
जागती आँखों में भी ख़्वाब होते हैं;
जरूरी नहीं कि गम में ही आंसू आयें;
मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।

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वापसी का सफ़र अब मुमकिन न होगा।
हम तो निकल चुके हैं - आँख से आंसू की तरह।

अय दिल किसी की याद में रोना फ़जूल है;
आंसू बड़े अनमोल हैं, इन्हें खोना फ़जूल है;
रो तू उनके लिए जो तुझ पर निसार हैं;
उनके लिए क्या रोना जिनके आशिक हजार हैं।

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हर एक मुस्कुराहट मुस्कान नहीं होती;
नफरत हो या मोहब्बत आसान नहीं होती;
आंसू गम के और ख़ुशी के एक जैसे होते हैं;
इनकी पहचान आसान नहीं होती!

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जिनके राहों में हमने बिछाये थे सितारे;
उनसे कहते हैं हरपाल आंसुओं के सहारे;
हो गए हैं सारे शिकवे कितने किनारे;
मगर फिर भी क्यों वो हुए ना हमारे!

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आकर ज़रा देख तो तेरी खातिर हम किस तरह से जिए;
आंसु के धागे से सीते रहे हम जो जख्म तूने दिए!

जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे;
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने भी बहुत रुलाया मुझे|

मुस्कुराने से भी होता है, ग़म-ए-दिल बयां;
मुझे रोने की आदत हो, ये ज़रूरी तो नहीं!

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मैंने आंसू को समझाया;
भरी महफ़िल में ना आया करो;
आंसू बोला, तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है;
इसीलिए तो चुपके से चले आते है!

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