शराब की लत से प्रेशान एक शख्स डॉक्टर के पास गया और बोला, "डॉक्टर साहब मेरी शराब छुडाओ।"
डॉक्टर ने पूछा: रोजाना कितनी पीते हो? शराबी बोला: चार पैग। डॉक्टर बोला: धीरे-धीरे एक पैग कम कर दो। शराबी एक हफ्ते बाद डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर ने पूछा: अब कितनी शराब पीते हो? शराबी ने जवाब दिया: तीन पैग। डॉक्टर ने कहा: अब एक पैग और कम कर दो। दो हफ्ते बाद शराबी फिर डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने पूछा: अब कितनी पीते हो मेरे भाई। शराबी बोला: सर दो पैग। डॉक्टर ने बोला: बस अब एक पैग और कम कर दो। शराबी ने उदास होकर जवाब दिया: सॉरी डॉक्टर साहब पूरी बोतल को एक पैग में तो नहीं खत्म कर सकता मैं। |
1. शराब व्यक्ति की नैसर्गिक प्रतिभा को बहार निकलता है| जैसे कोई अच्छा डांसर है लेकिन अपनी शर्म की वजह से लोगो के सामने नहीं नाच पाता, दो घूंट अन्दर जाते ही अपना ऐसा नृत्य पेश करता है कि उसके सामने माइकल जेक्सन भी पानी न मांगे। ऐसे कई उदहारण आपने शादी-विवाह के अवसर पर शराबियों को नृत्य करते हुए देखा होगा। कोई नागिन बनकर जमीन में लोटता है, कोई घूँघट डाल कर महिला नृत्य पस्तुत करता है, जो शेयर - ओ - शायरी और साहित्यिक बातें सामान्य अवस्था में नहीं की जाती, शराब पीने के बाद कई लोगो को बड़ी बड़ी साहित्यिक बातें शेयर - ओ - शायरी भी करते देखा गया है। 2. शराब व्यक्ति के आत्मविस्वास को कई गुणा बढ़ा देती है। दो घूंट अन्दर जाते ही चूहे की तरह डरने वाला डरपोक से डरपोक व्यक्ति भी शेर की तरह गुर्राने लगता है। शराब पीने के बाद कई पतियों को अपनी पत्नी के आगे गुर्रारते हुए देखा गया है। 3. शराब व्यक्ति को प्रकृति के करीब लाता है। दो घूंट अन्दर जाते ही शराबियो का प्रकृति प्रेम उभर कर सामने आ जाता है कई शराबी शराब का आनंद लेने के बाद ज़मीन, कीचड़, नाली आदि प्राकृतिक जगहों पर विश्राम करते पाए जाते है। 4. शराब व्यक्ति की भाषाई भिन्नता को कम कर देता है जो लोग अंग्रेजी बोलना तो चाहते है लेकिन नहीं बोल पाते, अंग्रेजी बोलने में हिचकिचाहट महसूस करते है दो घूंट अन्दर जाते ही ऐसी धरा प्रवाह अंग्रेजी बोलने लगते है कि बड़े से बड़ा अंग्रेज़ भी शरमा जाये ऐसे कई लोगो से आपका पाला पड़ा होगा। 5. शराब व्यक्ति को दिलदार बनाती है। कंजूस से कंजूस व्यक्ति भी दो घूंट अन्दर जाते ही किसी सल्तनत के बादशाह की तरह व्यवहार करने लगता है। ऐसे लोगो के जेब में भले फूटी कौड़ी न हो लेकिन ये लोग ज़माने को खरीदने में पीछे नहीं हटते है। |
एक बार एक शराबी रात के 12 बजे शराब की दुकान के मालिक को फ़ोन करता है और कहता है;
शराबी: तेरी दुकान कब खुलेगी? दुकानदार: सुबह 9 बजे! शराबी फिर थोड़ी देर बाद दोबारा दुकानदार को फ़ोन करके पूछता है; शराबी: तेरी दुकान कब खुलेगी? दुकानदार: कहा ना सुबह 9 बजे! कुछ देर बाद शराबी फिर से दुकानदार को फ़ोन कर देता है और पूछता है; शराबी: भाईसाहब आपकी दुकान कब खुलेगी? दुकानदार: अबे तुझे कितनी बार बताऊँ सुबह 9 बजे खुलेगी इसीलिए सुबह 9 बजे आना और जो भी चाहिए हो ले जाना! शराबी: अबे, मैं तेरी दुकान के अन्दर से ही बोल रहा हूँ! |
मैं औऱ मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं; ज्यादा पीऊं या कम, व्हिस्की पीऊं या रम। या फिर तोबा कर लूं... कुछ तो अच्छा कर लूं। हर सुबह तोबा हो जाती है, शाम होते-होते फिर याद आती है। क्या रखा है जीने में, असल मजा है पीने में। फिर ढक्कन खुल जाता है, फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है। रात गहराती है, मस्ती आती है। कुछ पीता हूं, कुछ छलकाता हूँ। कई बार पीते-पीते, लुढ़क जाता हूँ। फिर वही सुबह, फिर वही सोच। क्या रखा है पीने में, ये जीना भी है कोई जीने में! सुबह कुछ औऱ, शाम को कुछ और। थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए, थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए; यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत... शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए। |