मैं औऱ मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं; ज्यादा पीऊं या कम, व्हिस्की पीऊं या रम। या फिर तोबा कर लूं... कुछ तो अच्छा कर लूं। हर सुबह तोबा हो जाती है, शाम होते-होते फिर याद आती है। क्या रखा है जीने में, असल मजा है पीने में। फिर ढक्कन खुल जाता है, फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है। रात गहराती है, मस्ती आती है। कुछ पीता हूं, कुछ छलकाता हूँ। कई बार पीते-पीते, लुढ़क जाता हूँ। फिर वही सुबह, फिर वही सोच। क्या रखा है पीने में, ये जीना भी है कोई जीने में! सुबह कुछ औऱ, शाम को कुछ और। थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए, थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए; यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत... शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए। |
एक बार एक शराबी रात के 12 बजे शराब की दुकान के मालिक को फ़ोन करता है और कहता है, "तेरी दुकान कब खुलेगी?" दुकानदार: सुबह 9 बजे। शराबी फिर थोड़ी देर बाद दोबारा दुकानदार को फ़ोन करके पूछता है, "तेरी दुकान कब खुलेगी?" दुकानदार: कहा ना सुबह 9 बजे। कुछ देर बाद शराबी फिर से दुकानदार को फ़ोन कर देता है और पूछता है,"भाई साहब आपकी दुकान कब खुलेगी?" दुकानदार: अबे तुझे कितनी बार बताऊँ सुबह 9 बजे खुलेगी इसीलिए सुबह 9 बजे आना और जो भी चाहिए हो ले जाना। शराबी: अबे, मैं तेरी दुकान के अन्दर से ही बोल रहा हूँ। |
एक शराबी रोता हुआ बार में आया बार में बैठे एक और शराबी ने उससे पूछा क्या हुआ? मैंने एक बहुत घिनौना काम किया है, लम्बी साँस खींचते हुए, अभी थोड़ी देर पहले मैंने एक शैम्पेन बोतल के लिए अपनी बीवी को बेच दिया! ये बहुत गलत किया तुमने, दूसरे शराबी ने कहा, अब वो चली गयी है और तुम्हें वो वापिस चाहिए? हाँ शराबी ने कहा और वो रो रहा था! तुम्हें खेद है की तुमने उसे बेच दिया तुम्हें इसका अहसास बहुत देर बाद हुआ, तुम अब भी उससे बहुत प्यार करते हो? अरे नहीं! शराबी ने कहा, मैं उसे इसलिए वापिस चाहता हूँ क्योंकि मेरी शराब ख़त्म हो गयी है! |
दारू एकम दारू - महफिल हुइ चालू दारू दुनी गिलास - मजा आयेगा खास दारू तिया वाईन - टेस्ट एकदम फाईन दारू चौके बियर - डालो नेक्स्ट गियर दारू पंजे रम - भूल जाओ गम दारू छक्के ब्रांडी - खाओ चिकन हाँडी दारू सत्ते व्हिस्की - काॅकटेल है रिस्की दारू अठ्ठे बेवडा - लाओ सेव चिवडा दारू नम्मे खंबा - ज्यादा हो गइ, थांबा दारू दहाम चस्का - नेक्स्ट पार्टी किसका? |