एक महिला डॉक्टर के पास गयी. उसे उसके पति ने पीटा था जिसके कारण उसकी आंखें काली और नीली हो गईं थीं! डॉक्टर ने पूछा, "क्या हुआ?" महिला, "डॉक्टर साहब मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं? मेरे पति रोज शराब पीकर आकर आते है और मुझे लात घूसों से पीटते हैं!" डॉक्टर, "मेरे पास इसके लिए एक बहुत बढ़िया इलाज है, अब से जब भी तुम्हारे पति शराब पीकर घर लौटे तो गरम पानी करना, उसमें थोड़ा सा नमक डालना और गरारे करना शुरू कर देना और करते ही रहना, लगातार करते रहना!" दो हफ्ते बाद वो महिला डॉक्टर के पास आयी तो बिलकुल तंदुरुस्त और प्रसन्न लग रही थी! महिला ने बताया, "डॉक्टर साहब, ये तो जबरदस्त आइडिया बताया था आपने, अब तो जब भी मेरे पति शराब पीकर घर आते है तो मैं गरारे करना शुरू कर देती हूं और वो मुझे छूते तक नहीं!" डॉक्टर, "देखा, अगर बकवास ना की जाये तो कितना फायदेमंद रहता है!" |
यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:
नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात; बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात; पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज; कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज; भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास; बहन पराई हो गयी, साली खासमखास; मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश; बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश; बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान; पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान; पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग; मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग; फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर; पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर; पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप; भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप। |
एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर रहता था, और वहीं पास एक मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि "हम तुम विवाह कर लें, तो कैसा अच्छा रहे?"
मोरनी ने पूछा, "तुम्हारे मित्र कितने है?" मोर ने कहा, "उसका कोई मित्र नहीं है।" तो मोरनी ने विवाह से इनकार कर दिया। मोर सोचने लगा सुखपूर्वक रहने के लिए मित्र बनाना भी आवश्यक है। उसने एक शेर से, एक कछुए से, और शेर के लिए शिकार का पता लगाने वाली टिटहरी से, दोस्ती कर लीं। जब उसने यह समाचार मोरनी को सुनाया, तो वह तुरंत विवाह के लिए तैयार हो गई। दोनों ने पेड़ पर घोंसला बनाया और उसमें अंडे दिए, और भी कितने ही पक्षी उस पेड़ पर रहते थे। एक दिन जंगल में कुछ शिकारी आए। दिन भर कहीं शिकार न मिला तो वे उसी पेड़ की छाया में ठहर गए और सोचने लगे, पेड़ पर चढ़कर अंडे और बच्चों से भूख बुझाई जाए। मोर दंपत्ति को भारी चिंता हुई, मोर मित्रों के पास सहायता के लिए दौड़ा। बस फिर क्या था, टिटहरी ने जोर- जोर से चिल्लाना शुरू किया। शेर समझ गया, कोई शिकार है। वह उसी पेड़ के नीचे जा पहुँचा जहाँ शिकारी बैठे थे। इतने में कछुआ भी पानी से निकलकर बाहर आ गया। शेर से डरकर भागते हुए शिकारियों ने कछुए को ले चलने की बात सोची। जैसे ही हाथ बढ़ाया कछुआ पानी में खिसक गया। शिकारियों के पैर दलदल में फँस गए। इतने में शेर आ पहुँचा और उन्हें ठिकाने लगा दिया। मोरनी ने कहा, "मैंने विवाह से पूर्व मित्रों की संख्या पूछी थी, सो बात काम की निकली न, यदि मित्र न होते, तो आज हम सबकी खैर न थी।` मित्रता सभी रिश्तों में अनोखा और आदर्श रिश्ता होता है। और मित्र किसी भी व्यक्ति की अनमोल पूँजी होते हैं। इसलिए अपने दोस्तों को मत भूलो और ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाओ। |
एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर रहता था, और वहीं पास एक मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि "हम तुम विवाह कर लें, तो कैसा अच्छा रहे?"
मोरनी ने पूछा, "तुम्हारे मित्र कितने है?" मोर ने कहा, "उसका कोई मित्र नहीं है।" तो मोरनी ने विवाह से इनकार कर दिया। मोर सोचने लगा सुखपूर्वक रहने के लिए मित्र बनाना भी आवश्यक है। उसने एक शेर से, एक कछुए से, और शेर के लिए शिकार का पता लगाने वाली टिटहरी से, दोस्ती कर लीं। जब उसने यह समाचार मोरनी को सुनाया, तो वह तुरंत विवाह के लिए तैयार हो गई। दोनों ने पेड़ पर घोंसला बनाया और उसमें अंडे दिए, और भी कितने ही पक्षी उस पेड़ पर रहते थे। एक दिन जंगल में कुछ शिकारी आए। दिन भर कहीं शिकार न मिला तो वे उसी पेड़ की छाया में ठहर गए और सोचने लगे, पेड़ पर चढ़कर अंडे और बच्चों से भूख बुझाई जाए। मोर दंपत्ति को भारी चिंता हुई, मोर मित्रों के पास सहायता के लिए दौड़ा। बस फिर क्या था, टिटहरी ने जोर- जोर से चिल्लाना शुरू किया। शेर समझ गया, कोई शिकार है। वह उसी पेड़ के नीचे जा पहुँचा जहाँ शिकारी बैठे थे। इतने में कछुआ भी पानी से निकलकर बाहर आ गया। शेर से डरकर भागते हुए शिकारियों ने कछुए को ले चलने की बात सोची। जैसे ही हाथ बढ़ाया कछुआ पानी में खिसक गया। शिकारियों के पैर दलदल में फँस गए। इतने में शेर आ पहुँचा और उन्हें ठिकाने लगा दिया। मोरनी ने कहा, "मैंने विवाह से पूर्व मित्रों की संख्या पूछी थी, सो बात काम की निकली न, यदि मित्र न होते, तो आज हम सबकी खैर न थी।` मित्रता सभी रिश्तों में अनोखा और आदर्श रिश्ता होता है। और मित्र किसी भी व्यक्ति की अनमोल पूँजी होते हैं। इसलिए अपने दोस्तों को मत भूलो और ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाओ। |