Madhav Awana Hindi Shayari

  • ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता; <br/>
मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता! Upload to Facebook
    ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता;
    मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता!
    ~ Madhav Awana