Mushtaq Ahmad Nazish Hindi Shayari

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उसको ग़म था इतना कि वो खुद रोना भूल गया।Upload to Facebook
    वक़्त-ए-रुखसत पोंछ रहा था मेरे आँसू अपने आँचल से;
    उसको ग़म था इतना कि वो खुद रोना भूल गया।
    ~ Mushtaq Ahmad Nazish