Vikas Joshi Wahid Hindi Shayari

  • ग़मों से बशर को रिहा देखना;<br/>
सुलगती कोई जब चिता देखना!Upload to Facebook
    ग़मों से बशर को रिहा देखना;
    सुलगती कोई जब चिता देखना!
    ~ Vikas Joshi Wahid