Zafar Kaleem Hindi Shayari

  • खिड़की से महताब न देखो;<br/>
ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!Upload to Facebook
    खिड़की से महताब न देखो;
    ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!
    ~ Zafar Kaleem