इश्क Hindi Shayari

  • हर एक रात को महताब देखने के लिए;</br>
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए!</br>
*महताब: चाँदUpload to Facebook
    हर एक रात को महताब देखने के लिए;
    मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए!
    *महताब: चाँद
    ~ Azhar Inayati
  • ज़ुबान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती;</br>
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता!Upload to Facebook
    ज़ुबान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती;
    किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता!
    ~ Aziz Lakhnavi
  • इश्क़ को एक उम्र चाहिए और;</br>
उम्र का कोई ऐतबार नहीं!Upload to Facebook
    इश्क़ को एक उम्र चाहिए और;
    उम्र का कोई ऐतबार नहीं!
    ~ Jigar Barelvi
  • जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें;</br>
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही!Upload to Facebook
    जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें;
    ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही!
    ~ Amjad Islam Amjad
  • सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी;</br>
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी!Upload to Facebook
    सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी;
    तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी!
    ~ Jaan Nisar Akhtar
  • इश्क़ में कौन बता सकता है;</br>
किस ने किस से सच बोला है!Upload to Facebook
    इश्क़ में कौन बता सकता है;
    किस ने किस से सच बोला है!
    ~ Mushtaq Ahmad Yusufi
  • दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे;</br>
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे!</br></br>
*रंज: दुखUpload to Facebook
    दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे;
    जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे!

    *रंज: दुख
    ~ Daagh Dehlvi
  • क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;</br>
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है!</br></br>
*हिज्र: जुदाई, वियोग, विछोह, विरहUpload to Facebook
    क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;
    अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है!

    *हिज्र: जुदाई, वियोग, विछोह, विरह
    ~ Hafeez Jalandhari
  • हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;</br>
ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!Upload to Facebook
    हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;
    ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!
    ~ Shehzad Ahmed
  • आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो;</br>
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो!</br></br>

* महताब: चाँदUpload to Facebook
    आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो;
    बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो!

    * महताब: चाँद
    ~ Ahmad Faraz