ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है; बात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे! |
अंजाम को पहुँचूंगा मैं अंजाम से पहले; ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और! |
ख़ुश्बू को फैलने का बहुत शौंक है मगर; मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बग़ैर! |
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उठें; वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं! *बर्क: बिजली |
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं; वही दुनिया बदलते जा रहे हैं! |
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है; तुम ने देखा नहीं आँखों का समंदर होना! |
एक एक बात में सच्चाई है उस की लेकिन; अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है! |
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें; ये लीजिये आप का घर आ गया है हाथ छोड़ें! |
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है; हँसता चेहरा एक बहाना लगता है! |
धीमे सुरों में कोई मधुर गीत छेड़िए; ठहरी हुई हवाओं में जादू बिखेरिए! |