वो सादगी में भी है अजब दिलकशी लिए; इस वास्ते हम उस की तमन्ना में जी लिए! |
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई; क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है! |
बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं; मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले! |
न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आकर; न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है! *शाद: ख़ुश |
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है; बेवफ़ाई कभी कभी करना! |
ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को; वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता! *बहर-ए-बे-कराँ: बिना किनारे का समुद्र |
हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यों हो; ये भी इक बे-ख़बरी है कि ख़बर रखते हैं! |
ये पानी ख़ामोशी से बह रहा है; इसे देखें कि इस में डूब जाएँ! |
कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है; कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूँ! |
शायरी झूठ सही इश्क़ फ़साना ही सही; ज़िंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही! |