मानी हैं मैंने सैकड़ों बातें तमाम उम्र; आज आप एक बात मेरी मान जाइए! |
ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई; हो देखना तो दीदा-ए-दिल वा करे कोई! |
न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा; दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे! |
लड़ने को दिल जो चाहे तो आँखें लड़ाइए; हो जंग भी अगर तो मज़ेदार जंग हो! |
मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी, तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है! |
ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है; उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है! |
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं; वो रंग है ही नहीं जो तेरे बदन में नहीं! |
इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया; जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है! |
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है; दर्द दिल का लिबास होता है! |
अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं; कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं! *अगरचे: बहरहाल, यद्यपि, हालाँकि |