इज़हार Hindi Shayari

  • नहीं निग़ाह में मंज़िल तो जुस्त-जू ही सही;<br/>
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही!
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    नहीं निग़ाह में मंज़िल तो जुस्त-जू ही सही;
    नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही!
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • मेरे ग़ुज़रे हुये तेवर अभी भूली नहीं दुनिया;<br/>
अभी बिख़री हुयी हैं हर तरफ़ परछाइयाँ मेरी!Upload to Facebook
    मेरे ग़ुज़रे हुये तेवर अभी भूली नहीं दुनिया;
    अभी बिख़री हुयी हैं हर तरफ़ परछाइयाँ मेरी!
  • वो बे-दर्दी से सर काटें और मैं कहूं उनसे;<br/>
हज़ूृर आहिस्ता-आहिस्ता, जनाब आहिस्ता-आहिस्ता!
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    वो बे-दर्दी से सर काटें और मैं कहूं उनसे;
    हज़ूृर आहिस्ता-आहिस्ता, जनाब आहिस्ता-आहिस्ता!
    ~ Ameer Minai
  • अब भी लोगों के दिल में ख़र की सूरत खटकता हूँ;<br/>
अभी तक याद है अहल-ए-चमन को दास्तां मेरी! Upload to Facebook
    अब भी लोगों के दिल में ख़र की सूरत खटकता हूँ;
    अभी तक याद है अहल-ए-चमन को दास्तां मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • है आशिक़ी में रस्म, अलग सब से बैठना;<br/>
बुत ख़ाना भी, हरम भी, कलीसा भी छोड़ दे!Upload to Facebook
    है आशिक़ी में रस्म, अलग सब से बैठना;
    बुत ख़ाना भी, हरम भी, कलीसा भी छोड़ दे!
    ~ Allama Iqbal
  • ग़ुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ;<br/>
वाक़िफ़ सभी थे पहचानता कोई न था!Upload to Facebook
    ग़ुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ;
    वाक़िफ़ सभी थे पहचानता कोई न था!
  • गुनाहगार के दिल से न बच के चल ज़ाहिद;<br/>
यहीं कहीं तिरी जन्नत भी पाई जाती है!<br/><br/>

ज़ाहिद  =  धार्मिक व्यक्तिUpload to Facebook
    गुनाहगार के दिल से न बच के चल ज़ाहिद;
    यहीं कहीं तिरी जन्नत भी पाई जाती है!

    ज़ाहिद = धार्मिक व्यक्ति
    ~ Jigar Moradabadi
  • तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,<br/>
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,<br/>
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,<br/>
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ!Upload to Facebook
    तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,
    तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,
    तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
    तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ!
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो,<br/>
जिस्म से रूह को लेने फ़रिश्ते नहीं आते।Upload to Facebook
    किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो,
    जिस्म से रूह को लेने फ़रिश्ते नहीं आते।
  • आशिक़ था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया;<br/>
अब कोई शायर सा है, अज़ीब-अज़ीब सी बातें करता है!
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    आशिक़ था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया;
    अब कोई शायर सा है, अज़ीब-अज़ीब सी बातें करता है!