इज़हार Hindi Shayari

  • ऐ क़लम बस इतना सा एहसान कर दे;<br/>
जो मेरी ज़ुबाँ से न निकला वो बयाँ कर दे।Upload to Facebook
    ऐ क़लम बस इतना सा एहसान कर दे;
    जो मेरी ज़ुबाँ से न निकला वो बयाँ कर दे।
  • उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता;<br/>
लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है।Upload to Facebook
    उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता;
    लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है।
  • लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती;<br/>
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।Upload to Facebook
    लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती;
    बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।
    ~ Munawwar Rana
  • अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी;<br/>
दुनिया से कयामत दूर सही, दुनिया की कयामत दूर नहीं।<br/><br/>

Meaning:<br/>
अरबाबे-सितम  =  सितम ढाने वालाUpload to Facebook
    अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी;
    दुनिया से कयामत दूर सही, दुनिया की कयामत दूर नहीं।

    Meaning:
    अरबाबे-सितम = सितम ढाने वाला
    ~ Jigar Moradabadi
  • दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं;<br/>
लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं।Upload to Facebook
    दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं;
    लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं।
    ~ Qateel Shifai
  • दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है;<br/>
लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।Upload to Facebook
    दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है;
    लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • दिल समझता था कि ख़ल्वत में वो तन्हा होंगे;<br/>
मैंने पर्दा जो उठाया तो क़यामत निकली।<br/><br/>

Meaning:<br/>
खल्वत  =  एकांतUpload to Facebook
    दिल समझता था कि ख़ल्वत में वो तन्हा होंगे;
    मैंने पर्दा जो उठाया तो क़यामत निकली।

    Meaning:
    खल्वत = एकांत
    ~ Aziz Lakhnavi
  • फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है;<br/>
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है;<br/>
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में;<br/>
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि 'रौशनाई' है|Upload to Facebook
    फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है;
    ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है;
    अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में;
    कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि 'रौशनाई' है|
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में;<br/>
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में|Upload to Facebook
    बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में;
    वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में|
    ~ Kaifi Azmi
  • अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से;<br/>
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से।Upload to Facebook
    अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से;
    लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से।
    ~ Akbar Allahabadi