गिला शिकवा Hindi Shayari

  • मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती;<br/>
हमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए!Upload to Facebook
    मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती;
    हमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए!
    ~ Khalid Moin
  • सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं;<br/>

और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं!Upload to Facebook
    सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं;
    और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं!
    ~ Jaun Elia
  • ज़िंदगी किस तरह बसर होगी;<br/>
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में!Upload to Facebook
    ज़िंदगी किस तरह बसर होगी;
    दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में!
    ~ Jaun Elia
  • हाए वो लोग गए चाँद से मिलने और फिर;<br/>
अपने ही टूटे हुए ख़्वाब उठा कर ले आए!Upload to Facebook
    हाए वो लोग गए चाँद से मिलने और फिर;
    अपने ही टूटे हुए ख़्वाब उठा कर ले आए!
    ~ Obaidullah Aleem
  • जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;<br/>
अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!Upload to Facebook
    जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;
    अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!
    ~ Zehra Nigaah
  • तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:<br/>
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!Upload to Facebook
    तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:
    कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!
    ~ Fana Nizami Kanpuri
  • उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:<br/>
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !Upload to Facebook
    उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:
    मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !
    ~ Shakeel Badayuni
  • रात को सोना न सोना सब बराबर हो गया;<br/> 
तुम न आए ख़्वाब में आँखों में ख़्वाब आया तो क्या!Upload to Facebook
    रात को सोना न सोना सब बराबर हो गया;
    तुम न आए ख़्वाब में आँखों में ख़्वाब आया तो क्या!
    ~ Jaleel Manikpuri
  • ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया;<br/>
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया!Upload to Facebook
    ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया;
    जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया!
    ~ Shakeel Badayuni
  • ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही;<br/>
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही!Upload to Facebook
    ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही;
    जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही!
    ~ Khumar Barabankvi