किसी की जब से जफ़ाओं का सिलसिला न रहा; दिल-ए-हज़ीं में मोहब्बत का हौसला न रहा! |
तपती ज़मीं पे पाँव न धर अब भी लौट जा; क्यों हो रहा है ख़ाक-ब-सर अब भी लौट जा! |
हमारी जान तुम ऐसा करोगी; हमारी जान का सौदा करोगी! |
जाने क्या सोच के हम तुझ से वफ़ा करते हैं; क़र्ज़ है पिछले जन्म का सो अदा करते हैं! |
ग़मों से बशर को रिहा देखना; सुलगती कोई जब चिता देखना! |
इस तअल्लुक़ को तू रस्ते की रुकावट न समझ; अब किसी और का होना है तो चल जा हो जा! |
तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़; किस से किस का गिला करे कोई! |
ख़ुश हूँ कब दिल की दास्ताँ कह कर; क्या मिलेगा यहाँ वहाँ कह कर! |
बे-ज़मीरों के कभी झांसे में मैं आता नहीं; मुश्किलों की भीड़ से हरगिज़ मैं घबराता नहीं! |
ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता; मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता! |