ज़िन्दगी शायद इसी का नाम है, दूरियां मज़बूरियां तन्हाईयाँ। |
कुछ चंद लम्हें ज़िंदगी के ज़िंदगी को मायनों से भर देते हैं, वरना ज़िंदगी तो अक्सर यूँ ही बेमानी सी गुज़र जाती है। |
जिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बढ़िया इलाज़ बताया; वक्त को दवा कहा और ख्वाहिशों का परहेज बताया। |
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में; पर बेवजह खुश रहने का मज़ा ही कुछ और है। |
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम; ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम। |
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी; बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी; हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए; वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी। |
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो; हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो। |
रोया हूँ बहुत तब जरा करार मिला है; इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है; गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से; एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है। |
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था; खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था; कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में; वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था। |
सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत है; मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है। |