Hindi Shayari

  • ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,</br>
वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;</br>
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,</br>
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!</br>
*इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
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    ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
    वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;
    वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,
    अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!
    *इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
    ~ Jaun Elia
  • आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो;</br>
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो!Upload to Facebook
    आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो;
    साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो!
  • दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो;</br>
हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले!Upload to Facebook
    दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो;
    हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले!
    ~ Shehzad Ahmed
  • मुद्दतों बाद, लौटे है तेरे शहर में,<br />
एक तुझे छोड़,  कुछ भी तो नहीं बदला !<br />Upload to Facebook
    मुद्दतों बाद, लौटे है तेरे शहर में,
    एक तुझे छोड़, कुछ भी तो नहीं बदला !
  • हम तो बचपन में भी अकेले थे;</br>
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे!Upload to Facebook
    हम तो बचपन में भी अकेले थे;
    सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे!
    ~ Javed Akhtar
  • किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे;</br>
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके!Upload to Facebook
    किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे;
    हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था,</br>
सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है;</br>
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़,</br>
वो तेरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है!Upload to Facebook
    जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था,
    सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है;
    ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़,
    वो तेरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है!
    ~ Hasrat Mohani
  • फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है;</br>
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो!Upload to Facebook
    फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है;
    वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो!
    ~ Nida Fazli
  • शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को;</br>
मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को!Upload to Facebook
    शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को;
    मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को!
    ~ Shahryar
  • तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से,</br>
कुछ अब कल के लिए रखो मुझे नींद आ रही है;</br>
सहर होगी तो देखेंगे कि हैं क्या क्या मसाइल,</br>
ज़रा सी देर सोने दो मुझे नींद आ रही है!</br>
*मसाइल: समस्याएँUpload to Facebook
    तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से,
    कुछ अब कल के लिए रखो मुझे नींद आ रही है;
    सहर होगी तो देखेंगे कि हैं क्या क्या मसाइल,
    ज़रा सी देर सोने दो मुझे नींद आ रही है!
    *मसाइल: समस्याएँ
    ~ Mohsin Asrar