जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ; दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो! |
दुनिया तो चाहती है यूँ ही फ़ासले रहें; दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल! |
मेरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है, मुझे जाया न होने दो मुझे नींद आ रही है; मेरे अंदर के दुख चेहरे से ज़ाहिर हो रहे हैं, मेरी तस्वीर मत खींचो मुझे नींद आ रही है! *जाया: गंवाना, बेकार करना |
शब जो हम से हुआ माफ़ करो; नहीं पी थी बहक गए होंगे! |
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं; ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से! |
अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा; उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा; तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं, मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा! |
ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने; कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता! |
छेड़ मत हर दम न आईना दिखा; अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम! |
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक; ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र, सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक! |
जिस ने कुछ एहसान किया एक बोझ सिर पर रख दिया; सिर से तिनका क्या उतारा सिर पे छप्पर रख दिया! |