Hindi Shayari

  • जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ;</br>
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो!Upload to Facebook
    जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ;
    दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • दुनिया तो चाहती है यूँ ही फ़ासले रहें;</br>
दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल!Upload to Facebook
    दुनिया तो चाहती है यूँ ही फ़ासले रहें;
    दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल!
    ~ Habib Jalib
  • मेरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है,</br>
मुझे जाया न होने दो मुझे नींद आ रही है;</br>
मेरे अंदर के दुख चेहरे से ज़ाहिर हो रहे हैं,</br>
मेरी तस्वीर मत खींचो मुझे नींद आ रही है!</br></br>
*जाया: गंवाना, बेकार करनाUpload to Facebook
    मेरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है,
    मुझे जाया न होने दो मुझे नींद आ रही है;
    मेरे अंदर के दुख चेहरे से ज़ाहिर हो रहे हैं,
    मेरी तस्वीर मत खींचो मुझे नींद आ रही है!

    *जाया: गंवाना, बेकार करना
    ~ Mohsin Asrar
  • शब जो हम से हुआ माफ़ करो;
नहीं पी थी बहक गए होंगे!Upload to Facebook
    शब जो हम से हुआ माफ़ करो; नहीं पी थी बहक गए होंगे!
    ~ Jaun Elia, *शब: रात
  • जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं;</br>
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से!Upload to Facebook
    जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं;
    ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से!
    ~ Nazeer Siddiqui
  • अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा;</br>
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा;</br>
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,</br>
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा!Upload to Facebook
    अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा;
    उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा;
    तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,
    मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा!
  • ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने;</br>
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता!Upload to Facebook
    ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने;
    कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता!
    ~ Chiragh Hasan Hasrat
  • छेड़ मत हर दम न आईना दिखा;</br>
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम!Upload to Facebook
    छेड़ मत हर दम न आईना दिखा;
    अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम!
    ~ Mushafi Ghulam Hamdani
  • आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब,</br>
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक;</br>
ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र,</br>
सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक!
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    आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब,
    दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक;
    ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र,
    सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक!
    ~ Mirza Ghalib, *सब्र-तलब: जिसमें सब्र और धैर्य की आवश्यकता हो
    *शब-ए-फ़ुर्क़त: जुदाई की रात
  • जिस ने कुछ एहसान किया एक बोझ सिर पर रख दिया;</br>
सिर से तिनका क्या उतारा सिर पे छप्पर रख दिया!Upload to Facebook
    जिस ने कुछ एहसान किया एक बोझ सिर पर रख दिया;
    सिर से तिनका क्या उतारा सिर पे छप्पर रख दिया!
    ~ Jalal Lakhnavi