Hindi Shayari

  • आता है जो तूफ़ान आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है;</br>
मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए!Upload to Facebook
    आता है जो तूफ़ान आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है;
    मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए!
    ~ Behzad Lakhnawi
  • मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी;</br>
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!Upload to Facebook
    मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी;
    किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!
    ~ Bashir Badr
  • बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मालूम;</br>
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई!Upload to Facebook
    बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मालूम;
    जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,</br>
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;</br>
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,</br>
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!Upload to Facebook
    यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,
    फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;
    महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,
    जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • वो चार चाँद फ़लक को लगा चला हूँ 'क़मर';</br>
कि मेरे बाद सितारे कहेंगे अफ़्साने!Upload to Facebook
    वो चार चाँद फ़लक को लगा चला हूँ 'क़मर';
    कि मेरे बाद सितारे कहेंगे अफ़्साने!
    ~ Qamar Jalalvi
  • शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा;</br>
सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है!Upload to Facebook
    शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा;
    सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है!
    ~ Shakeel Jamali
  • मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं,</br>
यही होता है ख़ानदान में क्या;</br>
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं,</br>
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या!Upload to Facebook
    मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं,
    यही होता है ख़ानदान में क्या;
    अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं,
    हम ग़रीबों की आन-बान में क्या!
    ~ Jaun Elia
  • तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ;</br>
ये पंखुड़ी से होंठ ये गुल सा बदन कहाँ!Upload to Facebook
    तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ;
    ये पंखुड़ी से होंठ ये गुल सा बदन कहाँ!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;</br>
आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!Upload to Facebook
    शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;
    आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!
    ~ Bashir Badr
  • सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की,</br>
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं;</br>
सुना है उस को भी है शेर-ओ-शायरी से शग़फ़,</br>
सो हम भी मोजिज़े अपने हुनर के देखते हैं!Upload to Facebook
    सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की,
    सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं;
    सुना है उस को भी है शेर-ओ-शायरी से शग़फ़,
    सो हम भी मोजिज़े अपने हुनर के देखते हैं!
    ~ Ahmad Faraz, *शग़फ़: रुचि