Hindi Shayari

  • मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब';</br>
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है!Upload to Facebook
    मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब';
    मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है!
    ~ Mirza Ghalib
  • रोने वालों से कहो उन का भी रोना रो लें;</br>
जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया!Upload to Facebook
    रोने वालों से कहो उन का भी रोना रो लें;
    जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया!
    ~ Sudarshan Faakir
  • इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,</br>
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ;</br>
तू भी हीरे से बन गया पत्थर,</br>
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ!Upload to Facebook
    इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,
    क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ;
    तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
    हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ!
    ~ Ahmad Faraz
  • मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे;</br>
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे!Upload to Facebook
    मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे;
    तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे!
    ~ Mirza Ghalib
  • गर्मी बहुत है आज खुला रख मकान को;</br>
उस की गली से रात को पुर्वाई आएगी!</br></br>
*पुर्वाई: पूर्व की वायुUpload to Facebook
    गर्मी बहुत है आज खुला रख मकान को;
    उस की गली से रात को पुर्वाई आएगी!

    *पुर्वाई: पूर्व की वायु
    ~ Khaleel Rampuri
  • तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,</br>
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;</br>
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,</br>
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!Upload to Facebook
    तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,
    न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;
    वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,
    ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!
    ~ Dagh Dehlvi
  • मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे;<br/>
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे!<br/>
मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी;<br/>
मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे!<br/><br/>

*जाँ-ब-लब: जिसके प्राण होंठों पर होंUpload to Facebook
    मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे;
    मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे!
    मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी;
    मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे!

    *जाँ-ब-लब: जिसके प्राण होंठों पर हों
    ~ Shakeel Badayuni
  • काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;<br/>
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!Upload to Facebook
    काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;
    फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!
    ~ Saghar Siddiqui
  • दीदार की तलब के तरीक़ों से बे-ख़बर;<br/>
दीदार की तलब है तो पहले निगाह माँग!Upload to Facebook
    दीदार की तलब के तरीक़ों से बे-ख़बर;
    दीदार की तलब है तो पहले निगाह माँग!
    ~ Azad Ansari
  • ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;</br>
क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!</br></br>
*नाहक़: अनुचित रूप से और अकारणUpload to Facebook
    ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;
    क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!

    *नाहक़: अनुचित रूप से और अकारण
    ~ Riyaz Khairabadi