Hindi Shayari

  • ये ज़मीं आसमान रहने दे;<br/>
कोई तो साएबान रहने दे!<br/><br/>

* साएबान - शामियाना  Upload to Facebook
    ये ज़मीं आसमान रहने दे;
    कोई तो साएबान रहने दे!

    * साएबान - शामियाना
    ~ Om Prakash Meghwanshi
  • अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते;<br/>
उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते!Upload to Facebook
    अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते;
    उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते!
    ~ Nadir Areez
  • मैं बाज़गश्त-ए-दिल हूँ पैहम शिकस्त-ए-दिल हूँ;<br/>
वो आज़मा रहा हूँ जो आज़मा चुका हूँ!Upload to Facebook
    मैं बाज़गश्त-ए-दिल हूँ पैहम शिकस्त-ए-दिल हूँ;
    वो आज़मा रहा हूँ जो आज़मा चुका हूँ!
    ~ Saba Akhtar
  • साज़-ए-फ़ुर्क़त पे ग़ज़ल गाओ कि कुछ रात कटे;<br/>
प्यार की रस्म को चमकाओ कि कुछ रात कटे!Upload to Facebook
    साज़-ए-फ़ुर्क़त पे ग़ज़ल गाओ कि कुछ रात कटे;
    प्यार की रस्म को चमकाओ कि कुछ रात कटे!
    ~ Raees Akhtar
  • तुझ से बिछड़ के दर्द तेरा हम-सफ़र रहा;<br/>
मैं राह-ए-आरज़ू में अकेला कभी न था!Upload to Facebook
    तुझ से बिछड़ के दर्द तेरा हम-सफ़र रहा;
    मैं राह-ए-आरज़ू में अकेला कभी न था!
    ~ Qaisar Qalandar
  • इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ;<br/>
ख़ुशबू की तरह ख़ुद को सदा ढूँड रहा हूँ!Upload to Facebook
    इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ;
    ख़ुशबू की तरह ख़ुद को सदा ढूँड रहा हूँ!
    ~ Tabish Siddiqui
  • हिजाब उठे हैं लेकिन वो रू-ब-रू तो नहीं;<br/>
शरीक-ए-इश्क़ कहीं कोई आरज़ू तो नहीं!Upload to Facebook
    हिजाब उठे हैं लेकिन वो रू-ब-रू तो नहीं;
    शरीक-ए-इश्क़ कहीं कोई आरज़ू तो नहीं!
  • मेरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई;<br/>
सहर तो हो न सकी और फिर से शाम हुई!<br/><br/>

* नग़्मगी - गीतकारीUpload to Facebook
    मेरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई;
    सहर तो हो न सकी और फिर से शाम हुई!

    * नग़्मगी - गीतकारी
    ~ Yaqoob Yawar
  • खिड़की से महताब न देखो;<br/>
ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!Upload to Facebook
    खिड़की से महताब न देखो;
    ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!
    ~ Zafar Kaleem
  • दिल से जब लौ लगी नहीं होती; <br/>
आँख भी शबनमी नहीं होती! Upload to Facebook
    दिल से जब लौ लगी नहीं होती;
    आँख भी शबनमी नहीं होती!
    ~ Ved Rahi