ख़ुश हूँ कब दिल की दास्ताँ कह कर; क्या मिलेगा यहाँ वहाँ कह कर! |
बे-ज़मीरों के कभी झांसे में मैं आता नहीं; मुश्किलों की भीड़ से हरगिज़ मैं घबराता नहीं! |
आज किसी की याद में हम जी भर कर रोए धोया घर; आज हमारा घर लगता है कैसा उजला उजला घर! |
आँखों में सितारे रहने दे; जीने के सहारे रहने दे! |
चैन पड़ता नहीं है सोने में; सूइयाँ तो नहीं बिछौने में! |
तेरी आँखें ने रहीं आईना-खाना मिरे दोस्त; कितनी तेजी से बदलता है ज़माना मिरे दोस्त! |
इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस; मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस! |
फूल हँसे और शबनम रोई आई सबा मुस्काई धूप; याद का सूरज ज़ेहन में चमका पलकों पर लहराई धूप! |
आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहीं; क्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का! |
ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता; मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता! |