Hindi Shayari

  • ख़ुश हूँ कब दिल की दास्ताँ कह कर;<br/>
क्या मिलेगा यहाँ वहाँ कह कर!Upload to Facebook
    ख़ुश हूँ कब दिल की दास्ताँ कह कर;
    क्या मिलेगा यहाँ वहाँ कह कर!
    ~ Om Krishn Rahat
  • बे-ज़मीरों के कभी झांसे में मैं आता नहीं;<br/>
मुश्किलों की भीड़ से हरगिज़ मैं घबराता नहीं!Upload to Facebook
    बे-ज़मीरों के कभी झांसे में मैं आता नहीं;
    मुश्किलों की भीड़ से हरगिज़ मैं घबराता नहीं!
    ~ Ibrat Bahraichi
  • आज किसी की याद में हम जी भर कर रोए धोया घर;<br/>
आज हमारा घर लगता है कैसा उजला उजला घर!Upload to Facebook
    आज किसी की याद में हम जी भर कर रोए धोया घर;
    आज हमारा घर लगता है कैसा उजला उजला घर!
    ~ Jafar Baluch
  • आँखों में सितारे रहने दे;<br/>
जीने के सहारे रहने दे!Upload to Facebook
    आँखों में सितारे रहने दे;
    जीने के सहारे रहने दे!
    ~ Nadeem Rafi
  • चैन पड़ता नहीं है सोने में;<br/>सूइयाँ तो नहीं बिछौने में!Upload to Facebook
    चैन पड़ता नहीं है सोने में;
    सूइयाँ तो नहीं बिछौने में!
    ~ Ehsas Muradabadi
  • तेरी आँखें ने रहीं आईना-खाना मिरे दोस्त;<br/>कितनी तेजी से बदलता है ज़माना मिरे दोस्त!Upload to Facebook
    तेरी आँखें ने रहीं आईना-खाना मिरे दोस्त;
    कितनी तेजी से बदलता है ज़माना मिरे दोस्त!
    ~ Faisal Ajmi
  • इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;<br/>मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!Upload to Facebook
    इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;
    मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!
    ~ Gawwas Qureshi
  • फूल हँसे और शबनम रोई आई सबा मुस्काई धूप; <br/>
याद का सूरज ज़ेहन में चमका पलकों पर लहराई धूप!Upload to Facebook
    फूल हँसे और शबनम रोई आई सबा मुस्काई धूप;
    याद का सूरज ज़ेहन में चमका पलकों पर लहराई धूप!
    ~ Kaif Azimabadi
  • आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहीं; <br/>
क्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का!Upload to Facebook
    आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहीं;
    क्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का!
    ~ Lala Tika Ram
  • ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता; <br/>
मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता! Upload to Facebook
    ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता;
    मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता!
    ~ Madhav Awana