Hindi Shayari

  • भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था;<br/>
तुम ने उल्फत का यकीं मुझ को दिलाया क्यूँ थाUpload to Facebook
    भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था;
    तुम ने उल्फत का यकीं मुझ को दिलाया क्यूँ था
    ~ Saba Afghani
  • कब खुलेगा कि फलक पार से आगे क्या है;<br/>
किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है!Upload to Facebook
    कब खुलेगा कि फलक पार से आगे क्या है;
    किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है!
    ~ Tabish Kamal
  • बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत;
<br/>
दिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत!Upload to Facebook
    बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत;
    दिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत!
    ~ Umar Ansari
  • मुझ से कहते हो क्या कहेंगे आप; <br/>
जो कहूँगा तो क्या सुनेंगे आप! Upload to Facebook
    मुझ से कहते हो क्या कहेंगे आप;
    जो कहूँगा तो क्या सुनेंगे आप!
    ~ Pandit Jawahar Nath Saqi
  • धूप रुख़्सत हुई शाम आई सितारा चमका; <br/>
गर्द जब बैठ गई नाम तुम्हारा चमका!Upload to Facebook
    धूप रुख़्सत हुई शाम आई सितारा चमका;
    गर्द जब बैठ गई नाम तुम्हारा चमका!
    ~ Rabab Rashidi
  • ख़ुदा को भूले न जब तक हमें ख़ुदा न मिला; <br/>
ये मुद्दआ' भी ब-जुज़ तर्क-ए-मुद्दआ न मिला!Upload to Facebook
    ख़ुदा को भूले न जब तक हमें ख़ुदा न मिला;
    ये मुद्दआ' भी ब-जुज़ तर्क-ए-मुद्दआ न मिला!
    ~ Qaisar Amravatwi
  • दानिस्ता हम ने अपने सभी गम छुपा लिए;<br/>
पूछा किसी ने हाल तो बस मुस्कुरा दिए!Upload to Facebook
    दानिस्ता हम ने अपने सभी गम छुपा लिए;
    पूछा किसी ने हाल तो बस मुस्कुरा दिए!
    ~ Aafaque Siddiqui
  • इकरार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन;<br/>
हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन!Upload to Facebook
    इकरार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन;
    हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन!
    ~ Badr Wasti
  • पिछले सफ़र का अक्स-ए-जियाँ मेरे सामने;<br/>
सब बस्तियाँ धुआँ ही धुआँ मेरे सामने!Upload to Facebook
    पिछले सफ़र का अक्स-ए-जियाँ मेरे सामने;
    सब बस्तियाँ धुआँ ही धुआँ मेरे सामने!
    ~ Chandra Parkash Shad
  • मेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्त;<br/>
वामाँदा-ए-बहार हूँ घटिया कहे सो हूँ!<br/><br/>

*महरूमियाँ - deprivation<br/>
*वामाँदा-ए-बहार - fatigued of springUpload to Facebook
    मेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्त;
    वामाँदा-ए-बहार हूँ घटिया कहे सो हूँ!

    *महरूमियाँ - deprivation
    *वामाँदा-ए-बहार - fatigued of spring
    ~ Danish Nazeer Dani