Hindi Shayari

  • हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए;<br/>
हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए! Upload to Facebook
    हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए;
    हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए!
  • माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम;<br/>
बस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम!Upload to Facebook
    माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम;
    बस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम!
    ~ P P Srivastava Rind
  • ग़ुंचे-ग़ुंचे पे गुलिस्ताँ के निखार आ जाए; <br/>
जिस तरफ़ से वो गुज़र जाएँ बहार आ जाए !Upload to Facebook
    ग़ुंचे-ग़ुंचे पे गुलिस्ताँ के निखार आ जाए;
    जिस तरफ़ से वो गुज़र जाएँ बहार आ जाए !
    ~ Naaz Muradabadi
  • सजा रहेगा अँधेरों से ही खंडर मेरा; <br/>
इक एक कर के हुआ ख़त्म अब सफ़र मेरा! Upload to Facebook
    सजा रहेगा अँधेरों से ही खंडर मेरा;
    इक एक कर के हुआ ख़त्म अब सफ़र मेरा!
    ~ Habab Hashmi
  • कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा; <br/>
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा! Upload to Facebook
    कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा;
    कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा!
    ~ Ibn e Insha
  • बे-सबब हम से जुदाई न करो;<br/>
मुझ से आशिक़ से बुराई न करो !Upload to Facebook
    बे-सबब हम से जुदाई न करो;
    मुझ से आशिक़ से बुराई न करो !
    ~ Faez Dehlvi
  • ये हादसा है मगर उस तरफ हुआ भी नहीं;<br/>
जुदा हुआ भी तो उस से जो जानता भी नहीं!Upload to Facebook
    ये हादसा है मगर उस तरफ हुआ भी नहीं;
    जुदा हुआ भी तो उस से जो जानता भी नहीं!
    ~ R P Shokh
  • मुस्तकिल अब बुझा बुझा सा है;<br/>
आखिर इस दिल को ये हुआ क्या है!Upload to Facebook
    मुस्तकिल अब बुझा बुझा सा है;
    आखिर इस दिल को ये हुआ क्या है!
    ~ S A Mehdi
  • अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैं;<br/>
अच्छा है सीधा कर लूँ जो अपनी कमर को मैं!Upload to Facebook
    अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैं;
    अच्छा है सीधा कर लूँ जो अपनी कमर को मैं!
    ~ T N Raaz
  • मुमकिन नहीं है अपने को रुसवा वफ़ा करे;<br/>
दुनिया-ए-बे-सबात की ख़ातिर दुआ करे!
Upload to Facebook
    मुमकिन नहीं है अपने को रुसवा वफ़ा करे;
    दुनिया-ए-बे-सबात की ख़ातिर दुआ करे!
    ~ Vafa Barahi