सर किया ज़ुल्फ़ की शब को तो सहर तक पहुँचे; वर्ना हम लोग कहाँ हुस्न-ए-नज़र तक पहुँचे! |
चाँदनी-रात में अंधेरा था; इस तरह बेबसी ने घेरा था! |
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो; खुल के दुख-दर्द की कुछ बात कभी हो कि न हो! |
जो दिल पर बोझ है यारब ज़रा भी कम नहीं होता; ज़माना ग़म तो देता है शरीक-ए-ग़म नहीं होता! |
क्या-क्या नहीं किया मैंने तेरी एक मुस्कान के लिए;br/> फिर भी अकेला छोड़ दिया उस अनजान के लिए! |
मेरी उदासी मुझसे रोज़ मिलने आती हैं; मुस्कुराकर हर बार उसे रूखसत कर देता हूँ! |
तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको;br/> आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं! |
बड़े पक्के हैं तेरे एहसास के धागे; बिना बाँधे भी बंधे रहते हैं! |
मैं अपनों को मिलने से कतराता हूँ; एक और नए धोखे से घबराता हूँ! |
तेरे बाद कुछ यूं मोहब्बत निभाई है मैंने; तुम नहीं कोई नहीं कसम खाई है मैंने! |