क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं; उस सिर पे झूम के जो घटाएँ गुज़र गयीं! |
मैं भी ठहरूँ किसी के होंठों पे; काश कोई मेरे लिए भी दुआ कर दे! |
कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से; ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो। |
खामोश लबों से निभाना था ये रिश्ता; पर धड़कनों ने चाहत का शोर मचा दिया। |
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल; लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे! पासबान = चौकीदार, गार्ड |
बहुत खास होते हैं वो लोग जो आपकी आवाज़ से; आपकी खुशी और दुख का अंदाज़ा लगा लेते हैं! |
कभी-कभी यूँ ही चले आया करो दिल की दहलीज पर; अच्छा लगता है, यूँ तन्हाइयों में तुम्हारा दस्तक देना। |
अगर नए रिश्ते न बनें तो, मलाल मत करना; पुराने टूट ना जायें बस, इतना ख्याल रखना। |
अब उतर आये हैं वह तारीफ पर, हम जो आदी हो गये दुश्नाम के। |
ठिकाना कब्र है तेरा, इबादत कुछ तो कर ग़ाफिल; कहावत है कि खाली हाथ किसी के घर जाया नहीं करते। |