गिला शिकवा Hindi Shayari

  • सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है;<br/>
जो सीख जाता है वही हार जाता है!Upload to Facebook
    सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है;
    जो सीख जाता है वही हार जाता है!
  • नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इतफाक है कि,<br/>
नज़र को अक्सर वही चीज़ पसन्द आती है जो नसीब में नहीं होती।Upload to Facebook
    नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इतफाक है कि,
    नज़र को अक्सर वही चीज़ पसन्द आती है जो नसीब में नहीं होती।
  • सुलगती रेत पर पानी की अब तलाश नहीं;<br/>
मगर ये कब कहा हमने कि हमें प्यास नहीं!Upload to Facebook
    सुलगती रेत पर पानी की अब तलाश नहीं;
    मगर ये कब कहा हमने कि हमें प्यास नहीं!
  • कोई शिक़ायत नही रही तेरी बेरुख़ी से अब;<br/>
`मशरूफ़` तुम भी अच्छे हो `तन्हा` हम भी अच्छे हैं!Upload to Facebook
    कोई शिक़ायत नही रही तेरी बेरुख़ी से अब;
    "मशरूफ़" तुम भी अच्छे हो "तन्हा" हम भी अच्छे हैं!
  • देखिए, देते हैं इस पर आप हमको क्या सज़ा,<br/>
दे दिया दिल तुमको ये तकसीर' हमने की तो है;
ज़ोर पर आया है जय सौदा'-ए-जुल्फे-पुरशिकन,<br/>
टुकड़े-टुकड़े तोड़कर जंजीर हमने की तो है!Upload to Facebook
    देखिए, देते हैं इस पर आप हमको क्या सज़ा,
    दे दिया दिल तुमको ये तकसीर' हमने की तो है; ज़ोर पर आया है जय सौदा'-ए-जुल्फे-पुरशिकन,
    टुकड़े-टुकड़े तोड़कर जंजीर हमने की तो है!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • आती नहीं सदाएं उनकी मेरे क़फ़स में,<br/>
होती मेरी रिहाई ऐ काश मेरे बस में;<br/>
क्या बदनसीब हूँ मैं घर को तरस रहा,<br/>
साथी तो है वतन में, मैं क़ैद में पड़ा हूँ!Upload to Facebook
    आती नहीं सदाएं उनकी मेरे क़फ़स में,
    होती मेरी रिहाई ऐ काश मेरे बस में;
    क्या बदनसीब हूँ मैं घर को तरस रहा,
    साथी तो है वतन में, मैं क़ैद में पड़ा हूँ!
    ~ Allama Iqbal
  • कहां तक चुप रहूँ, चुपके रहने से कुछ नहीं होता,<br/>
कहूँ तो क्या कहूँ उनसे, कहे से कुछ नहीं होता;<br/>
नहीं मुमकिन कि आए रहम उनको ऐ जफर मुहा पर,<br/>
सहूँ जसके सितम क्या में, सहे से कुछ नहीं होता!Upload to Facebook
    कहां तक चुप रहूँ, चुपके रहने से कुछ नहीं होता,
    कहूँ तो क्या कहूँ उनसे, कहे से कुछ नहीं होता;
    नहीं मुमकिन कि आए रहम उनको ऐ जफर मुहा पर,
    सहूँ जसके सितम क्या में, सहे से कुछ नहीं होता!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,<br/>
किसकी बनी है आलमे नापायदार में;<br/>
बुलबुल को बागवां से न सैय्याद से गिला,<br/>
किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में!Upload to Facebook
    लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,
    किसकी बनी है आलमे नापायदार में;
    बुलबुल को बागवां से न सैय्याद से गिला,
    किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है;<br/>
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा!Upload to Facebook
    हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है;
    बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा!
    ~ Allama Iqbal
  • लोग अक्सर `ग़लत` इंसान से `धोखा` खाने के बाद;<br/>
अच्छे `इंसान से `बदला` लेते है!Upload to Facebook
    लोग अक्सर "ग़लत" इंसान से "धोखा" खाने के बाद;
    अच्छे "इंसान से "बदला" लेते है!