ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • कहाँ-कहाँ से इकट्ठा करूँ, ऐ ज़िंदगी तुझको,<br/>

जिधर भी देखूँ, तू ही तू बिखरी पड़ी है।Upload to Facebook
    कहाँ-कहाँ से इकट्ठा करूँ, ऐ ज़िंदगी तुझको,
    जिधर भी देखूँ, तू ही तू बिखरी पड़ी है।
  • मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा;<br/>
चुप-चाप से बहना, अपनी मौज में रहना।Upload to Facebook
    मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा;
    चुप-चाप से बहना, अपनी मौज में रहना।
  • चलो मैं भी दौड़ता हूँ इस होड़ की दौड़ में;<br/>
तुम सिर्फ ये बता दो इसकी मंज़िल कहाँ है!Upload to Facebook
    चलो मैं भी दौड़ता हूँ इस होड़ की दौड़ में;
    तुम सिर्फ ये बता दो इसकी मंज़िल कहाँ है!
  • कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी;<br/>
बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर!Upload to Facebook
    कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी;
    बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर!
  • जब से पता चला है कि मरने का नाम है ज़िंदगी;<br/>
तब से कफ़न बांधे कातिल को ढूँढ़ते हैं!Upload to Facebook
    जब से पता चला है कि मरने का नाम है ज़िंदगी;
    तब से कफ़न बांधे कातिल को ढूँढ़ते हैं!
  • मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में;<br/>
वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में!Upload to Facebook
    मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में;
    वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में!
  • जेब में क्यों रखते हो खुशी के लम्हें जनाब;<br/>
बाँट दो इन्हें ना गिरने का डर, ना चोरी का!Upload to Facebook
    जेब में क्यों रखते हो खुशी के लम्हें जनाब;
    बाँट दो इन्हें ना गिरने का डर, ना चोरी का!
  • ना जाने कब खरच हो गए पता ही नहीं चला;<br/>
वो लम्हें जो बचा कर रखे थे जीने के लिये!Upload to Facebook
    ना जाने कब खरच हो गए पता ही नहीं चला;
    वो लम्हें जो बचा कर रखे थे जीने के लिये!
  • जिंदगी दो लफ्ज़ों में यूँ अर्ज है;<br/>
आधी कर्ज है, तो आधी फर्ज है!Upload to Facebook
    जिंदगी दो लफ्ज़ों में यूँ अर्ज है;
    आधी कर्ज है, तो आधी फर्ज है!
  • सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ;<br/>
रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं!Upload to Facebook
    सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ;
    रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं!