तुम्हें कितनी मोहब्बत है... मालूम नहीं; मुझे लोग आज भी तेरी क़सम दे कर मना लेते हैं! |
काश कि खुदा ने दिल शीशे के बनाए होते; तोड़ने वाले के हाथों में ज़ख्म तो आए होते! |
गुमसुम से हो गए हैं आजकल सारे अल्फ़ाज मेरे; लगता है किसी चाहने वाले ने इन्हें पढ़ना छोड़ दिया! |
फूल शबनम में डूब जाते है, ज़ख्म मरहम में डूब जाते है; जब आते है ख़त तेरे, हम तेरे ग़म में डूब जाते है! |
चुपचाप गुजार देंगे तेरे बिना भी ये जिंदगी; लोगों को सिखा देंगे मोहब्बत ऐसे भी होती है! |
काँटों से घिरा रहता है; फिर भी गुलाब खिला रहता है! |
हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब; इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब! |
ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर, आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो; कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा, आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो! |
दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है, टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है; किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो, अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है! |
डुब कर सुरज ने मुझे और भी तन्हा कर दिया; मेरा साया भी अलग हो गया मेरे अपनो की तरह! |