एक शादीशुदा आदमी ने अपनी कविता में कहा है... माँग भरने की सजा कुछ कदर पा रहा हूँ कि माँग पूरी करते-करते माँग के खा रहा हूँ! |
पत्नी: अजी उठ जाओ, मैं चाय बना रही हूँ ! पति: तो बना लो, मैं कौन सा पतीले में सो रहा हूँ! |
शादीशुदा ज़िन्दगी का मज़ा ही अलग होता है! खाने को कुछ मिले ना मिले, सुनने को भरपूर मिल जाता है! |
कुँवारा आदमी गाने सुन कर सोता है, और शादीशुदा ताने सुन कर! |
जिधर जाओ बीवी के किस्से हैं! कोई ला कर रो रहा है, कोई लाने को रो रहा है! |
पति-पत्नी दिवाली की खरीददारी की लिस्ट बना रहे थे! पत्नी: तो सबसे पहले हमें क्या चाहिए? पति: क़र्ज़! |
पत्नी: तुम्हें मुझसे प्यार कब हुआ? पति: जब मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी! |
जब घर की सफाई के दौरान पत्नी ने मुझे चाय पिलाई तो... कसम से मजदूर वाली फीलिंग आयी! ~ शादीशुदा आदमी की आपबीती! |
पत्नी: मैंने गधों पर रिसर्च की है, वो अपनी गधी के अलावा किसी और गधी की तरफ देखता भी नहीं! पति: इसीलिए तो वो गधा है! |
ज़िंदगी तो कुँवारे आदमी की होती है, शादीशुदा आदमी की तो बीवी होती है। |