शब्दों का और सोच का ही अहम किरदार होता है! कभी हम समझ नहीं पाते हैं और कभी समझा नहीं पाते हैं! सुप्रभात! |
हे प्रभु ना मैंने तुझे देखा, ना कभी हम मिले, फिर ऐसा क्या रिश्ता है, दर्द कोई भी हो, याद तेरी ही आती है! सुप्रभात! |
जलेबी सिर्फ मीठी ही नहीं होती एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है कि खुद कितने भी उलझे रहो पर दूसरों को हमेशा मिठास दो। सुप्रभात! |
कोई सराहना करे या निंदा, लाभ तुम्हारा ही है! क्योंकि प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सुधरने का अवसर! सुप्रभात! |
ध्यान कर अर्थ आँखें बंद करना नहीं बल्कि खोलना है! बंद तो पहले से ही हैं! सुप्रभात! |
आज से बेहतर कुछ नहीं क्योंकि कल कभी आता नहीं और आज कभी जाता नहीं! सुप्रभात! |
ख़ुशी थोड़े समय की लिए सब्र देती है लेकिन सब्र हमेशा के लिए ख़ुशी देता है! सुप्रभात! |
साईकिल और जिंदगी तभी बेहतर चल सकती है जब साईकिल में चेन हो और जिंदगी में चैन हो। सुप्रभात! |
उनके कर्जदार और वफादार रहिये जो आपके लिए अपना वक्त देते हैं! क्योंकि अंजाम की ख़बर तो कर्ण को भी थी पर बात दोस्ती निभाने की थी। सुप्रभात! |
मीठी मुस्कान, तीखा गुस्सा और नमकीन आँसू, इन तीनों के स्वाद से बनी है ज़िंदगी
इसे मज़े से जियें। सुप्रभात! |