सूरज की किरणें, तारों की बहार; चाँद की चांदनी, अपनों का प्यार; आपका हर पल हो खुशहाल; उसी तरह मुबारक हो आपको ईद का तयोहार। ईद मुबारक! |
होंठों पे न कभी कोई शिकवा चाहिए; बस निगाह-ए-करम और दुआ चाहिए; चाँद तारों की तमन्ना नहीं मुझको; आप रहें सलामत खुदा से यही खैरात चाहिए। रमजान मुबारक |
ख्वाहिशों के समंदर के मोती तेरे नसीब हों; फूल चेहरा, फूल लहजे तेरे हमसफ़र हों; कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम; कि तेरी हर दुआ हर ख्वाहिश कबूल हो। रमज़ान मुबारक़ |
जिन लोगों तक नहीं पहुँच सकती मेरी बाहें; उनके लिए मन से हमेशा निकलती है दुआएं; बख्शे खुदा सब के गुनाह, बस यही करता हूँ दुआएं। रमज़ान मुबारक़ |
तुझे आँसू भरी वो दुआ मिले जिसे कभी न इंकार खुदा करे; तुझे हसरत न रहे कभी जन्नत की; खुदा खुशियाँ की बारिश तुम्हारे ऊपर करे। रमज़ान मुबारक! |
हम आपको याद करते हैं; महे रमज़ान में यही फरियाद करते हैं; बख्शे हर गुनाह ख़ुदा सब के; बस यही दुआ करते हैं। रमज़ान मुबारक़! |
हर सजदा आपका मंज़ूर-ए-खुदा हो जाये; आपकी दुआओं पर रब की रज़ा हो जाये; करते हैं हम भी दुआ इस महे रमज़ान में; कि आपकी ज़िंदगी से लफ़्ज़-ए-ग़म फ़ना हो जाये। रमज़ान मुबारक़ |
रब तू अपना जलवा दिखा दे; सबकी ज़िंदगी को अपने नूर से सवार दे; बस यही दुआ है मेरे मालिक; इस रमज़ान में सबकी ज़िंदगी में खुशियां बिखेर दे। रमज़ान मुबारक़ |
गुलशन को कर रही है मोत्तार ये हवायें; आता नहीं नज़र कुछ भी अब उसके सिवाये; करते हैं दुआ उस परवरदिगार से; बख्श दे वो हमारे गुनाह इस महे रमजान में। रमज़ान मुबारक |
बे-जुबानों को वो जुबान देता है; पढ़ने को फिर वो कुरान देता है; बक्शने पे आये जब जब वो गुनाहों को; तोहफे में गुनाहगारों को रमजान देता है। रमज़ान मुबारक। |