पठान: मैंने आपकी दूकान से मुर्गी दाना खरीदा था। दूकानदार: तो क्या हुआ, कुछ खराबी है क्या? पठान: हाँ, एक महीना हो गया उसे खेत में बोये हुए, अभी तक मुर्गी नहीं उगी। |
पठान: मैंने कल एक सपना देखा। सिंधी: अच्छा क्या देखा सपने में? पठान: यार कुछ दिखाई ही नहीं दिया। सिंधी: क्यों? पठान: वो मेरी आँखें बंद थी न, इसलिए। |
पठान और सिंधी आपस में बातें कर रहे थे। सिंधी: चल अपने बचपन की कोई बात बता? पठान: यार, बचपन में... मैं बहुत ताक़तवर था। सिंधी: अच्छा... वो कैसे? पठान: अम्मी कहती है बचपन में जब मैं रोता था तो सारा घर सिर पर उठा लेता था। |
सिंधी(पठान से): यार तुम्हारा जन्मदिन कब आता है? पठान: नहीं यार, मेरा जन्मदिन नहीं आता। सिंधी: ऐसा कैसे हो सकता है? जन्मदिन तो सबका आता है। पठान: वो मैं रात को पैदा हुआ था, इसलिए मेरा जन्म दिन नहीं आता। |
सिंधी(पठान से): और बताओ तुम्हारा भाई आज-कल क्या कर रहा है? पठान: बस एक दुकान खोली थी, पर अब तो जेल में है। सिंधी: जेल में, वो क्यों? पठान: वो दुकान हथौड़े से खोली थी न। |
पठान डॉक्टर के पास गया और बोला, "डॉक्टर साहब मुझे लगता है मुझे जूतों से एलर्जी है।" डॉक्टर: क्यों, ऐसा क्यों लगता है तुम्हें? पठान: क्योंकि डॉक्टर साहब जब भी मैं जूते पहने सुबह उठता हूँ तो मेरा सिर बहुत दर्द करता है। |
सिंधी (पठान से): यार रेडियो और अखबार में क्या फर्क है? पठान (बहुत सोचने के बाद): फर्क कुछ ज्यादा नहीं है, मिलती तो दोनों से खबरें ही हैं पर अख़बार रेडियो से ज्यादा फायदेमंद है। सिंधी: वो कैसे? पठान: यार अब रेडियो में तुम रोटियां तो नहीं लपेट सकते न। |
सिंधी, पठान से: तुम ये ईंट लिए क्यों फिर रहे हो? पठान: वो मैं अपना घर बेचना चाहता हूँ और ये उसका नमूना है। |
पठान खाँसी की दवाई लेने डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर: यह दवाई 2 चम्मच सुबह, 2 चम्मच दोपहर और 2 चम्मच रात को 3 दिन तक लेना। पठान: अपना दवाई अपने पास रखो, ऐसे तो हमारे घर के सारे चम्मच ही खत्म हो जायेंगे। |
पठान: डॉक्टर साहब, आज सुबह से मेरे सिर में और पेट में दर्द हो रहा है। डॉक्टर: कोई बात नहीं, यह लो एक गोली पेट दर्द के लिए और एक सिर दर्द के लिए। दोनों अभी खा लो। पठान: लेकिन डॉक्टर साहब, खाने के बाद गोलियों को कैसे पता चलेगा कि किसको किस तरफ जाना है? |