नन्हीं कली खिल चुकी है, बगिया में तितली गुनगुना रही है, तू आँख खोल तुझे सुबह जगा रही है, ख्वाबों की वो गलियाँ सोने जा रही हैं कह दे अब चंदा को अलविदा, सुबह तेरे लिए खुशियों का मल्हार गा रही है। सुप्रभात! |
स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह रखो जो बादशाह के महल में भी उतनी रोशनी देता है जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में। सुप्रभात! |
सुबह का मौसम और सतगुरु की याद, हलकी सी ठडंक और सिमरन की प्यास, संगत की सेवा और नाम की मिठास, शुरू कीजिए अपना दिन प्रभु के साथ। सुप्रभात! |
प्रसन्न व्यक्ति वह है जो निरंतर स्वयं का मूल्यांकन एवं सुधार करता है। जबकि दुःखी व्यक्ति वह है जो दूसरों का मूल्यांकन करता है। सुपरभात! |
रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना; जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है। सुप्रभात! |
सुबह सुबह की खूबसूरत किरणें कहने लगी मुझे, जल्दी से बाहर तो देखो मौसम कितना प्यारा है; मैंने भी कह दिया, थोड़ी देर रुक जाओ, पहले उसको मैसेज तो कर लूँ जो मुझे जान से प्यारा है। सुप्रभात! |
अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो, क्योंकि बुराईयाँ तुममें भी हैं और ज़ुबान दूसरों के पास भी है। सुप्रभात! |
हर जलते दीपक तले अँधेरा होता है, हर रात के पीछे एक सवेरा होता है, लोग डर जाते हैं मुसीबत को देख कर, मगर हर मुसीबत के पीछे सच का सवेरा होता है। सुप्रभात! |
यदि सपने सच नहीं हो तो रास्ते बदलो सिद्धान्त नहीं; क्योंकि पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं, जड़ें नहीं। सुप्रभात! |
आप का हर लम्हा गुलाब हो जाये, आप का हर पल शादाब हो जाये, जिन पर बरसती हैं खुदा की रहमतें, आपका भी नाम उनमें शुमार हो जाये। सुप्रभात! |