Ahsaan Danish Hindi Shayari

  • कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के;
    वो बदल गए अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के;

    हुए जिस पे मेहरबाँ, तुम कोई ख़ुशनसीब होगा;
    मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के;

    तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता है;
    वही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधल के;

    कोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई तारा;
    जो चिराग़ बुझ गए हैं, तेरी अंजुमन में जल के;

    मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो;
    वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के;

    तेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैला;
    ये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले संभल के।
    ~ Ahsaan Danish
  • जब रूख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा...

    जब रूख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा;
    बन के हर ज़र्रा आफ़्ताब उठा;

    डूबी जाती है ज़ब्त की कश्ती;
    दिल में तूफ़ान-ए-इजि़्तराब उठा;

    मरने वाले फ़ना भी पर्दा है;
    उठ सके गर तो ये हिजाब उठा;

    हम तो आँखों का नूर खो बैठे;
    उन के चेहरे से क्या नक़ाब उठा;

    आलम-ए-हुस्न-ए-सादगी तौबा;
    इश्क़ खा खा के पेच-ओ-ताब उठा;

    होश नक़्स-ए-ख़ुदी है ऐ 'एहसान';
    ला उठा शीशा-ए-शराब उठा।
    ~ Ahsaan Danish
  • यूं न मिल मुझ से ​...​

    यूं न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे​;​​
    साथ चल मौज-ए-सबा हो जैसे​;​​

    लोग यूं देख के हंस देते हैं;​
    तू मुझे भूल गया हो जैसे​;​

    इश्क़ को शिर्क की हद तक न बढ़ा​;​
    यूं न छुप हम से ख़ुदा हो जैसे​;​​

    ​ मौत भी आई तो इस नाज़ के साथ​;​​
    मुझ पे अहसान किया हो जैसे।
    ~ Ahsaan Danish
  • हुए जिस पे मेहरबां तुम, कोई खुशनसीब होगा;
    मेरी हसरतें तो निकली, मेरे आंसुओं में ढल के।
    ~ Ahsaan Danish
  • मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा;
    बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए।
    ~ Ahsaan Danish
  • बीते हुए कुछ दिन ऐसे हैं;<br/>
तन्हाई जिन्हें दोहराती है;<br/>
रो-रो के गुजरती हैं रातें;<br/>
आंखों में सहर हो जाती है!Upload to Facebook
    बीते हुए कुछ दिन ऐसे हैं;
    तन्हाई जिन्हें दोहराती है;
    रो-रो के गुजरती हैं रातें;
    आंखों में सहर हो जाती है!
    ~ Ahsaan Danish