Asif Saqib Hindi Shayari

  • समेट ले गए सब रहमतें कहाँ मेहमान;</br>
मकान काटता फिरता है मेज़बानों को!Upload to Facebook
    समेट ले गए सब रहमतें कहाँ मेहमान;
    मकान काटता फिरता है मेज़बानों को!
    ~ Asif Saqib