कोई 'अनीस' कोई आश्ना नहीं रखते; किसी आस बग़ैर अज खुदा नहीं रखते; किसी को क्या हो दिलों की शिकस्तगी की खबर; कि टूटने में यह दिल सदा नहीं रखते। शब्दार्थ: शिकस्तगी = उदासी सदा = आवाज़ |
'अनीस' आसान नहीं आबाद करना घर मोहब्बत का; ये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं। |