काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें; फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें! |
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है; अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है! |
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई; हम न सोए रात थक कर सो गई! |
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा; सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए! |
औरों की बुराई को न देखूँ वो नज़र दे; हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे! |
धोखा था निगाहों का मगर ख़ूब था धोखा; मुझ को तेरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई! |
मेरी आँखें और दीदार आप का; या क़यामत आ गई या ख़्वाब है! |
क्या शक्ल है वस्ल में किसी की; तस्वीर हैं अपनी बेबसी की! |
आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास; मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे! |
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर; जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ! |