सिर्फ़ लफ़्ज़ों को नहीं अंदाज़ भी अच्छा रखो; इस जगत में सिर्फ़ मीठी बोलियाँ रह जाएँगी! |
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं; फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं! |
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है; ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है! |
मज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्साना, कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते! |
आप के लब पे और वफ़ा की क़सम; क्या क़सम खाई है ख़ुदा की क़सम! |
जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई; बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई! |
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है; आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है!s |
हमेशा पूछती रहती है रास्तों की हवा; यूँ ही रुके हो यहाँ या किसी ने रोका था! |
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फैंसला; जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जायेगा! |
ऐ ख़ुदा कैसा समय आया है; शहर में हर सू धुआँ छाया है! *सू - दिशा, तरफ |