उनके आने की बंधी थी आस जब तक हमनशीं; सुबह हो जाती थी अक्सर जानिब-ए-दर देखते। |
इश्क़ में हर लम्हा ख़ुशी का एहसास बन जाता है; दीदार-ए-यार भी खुदा का दीदार बन जाता है; जब होता है नशा मोहब्बत का; तो अक्सर आईना भी ख्वाब बन जाता है। |
सिर्फ नज़र से जलाते हो आग चाहत की; जलाकर क्यों बुझाते हो आग चाहत की; सर्द रातों में भी तपन का एहसास रहे; हवा देकर बढ़ाते हो आग चाहत की।q |
इत्तेफ़ाक़ से यह हादसा हुआ है; चाहत से मेरा वास्ता हुआ है; दूर रह कर बड़ा बेताब था दिल; पास आ कर भी हाल बुरा हुआ है। |
खुदा भी मांगे ये दिल तो निकाल देंगे; अगर दिल ने कहा तुम बेवफा हो; तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे। |
मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही; अब रातों को जागना अच्छा लगता है; मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं; मगर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है। |
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा; खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा; इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे; कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा। |
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने; सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते। |
सब भूल जाता हूँ आप के सिवा, यह क्या मुझे हुआ है; क्या इसी एहसास को दुनिया ने इश्क़ का नाम दिया है। |
कैसे कहूँ कि अपना बना लो मुझे; बाहों में अपनी समा लो मुझे; बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं; आ कर एक बार मुझ से चुरा लो मुझे। |