अन्य Hindi Shayari

  • ख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़वाल देता है;<br/>
ज़माना जिस के हुनर की मिसाल देता है!<br/><br/>

* ज़वाल - पतनUpload to Facebook
    ख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़वाल देता है;
    ज़माना जिस के हुनर की मिसाल देता है!

    * ज़वाल - पतन
    ~ Ejaz Ansari
  • दौर काग़जी था पर देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे;<br/>
अब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही डिलीट हो जाती हैं।Upload to Facebook
    दौर काग़जी था पर देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे;
    अब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही डिलीट हो जाती हैं।
  • देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र है;<br/>
अब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं!Upload to Facebook
    देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र है;
    अब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं!
  • ये ज़मीं आसमान रहने दे;<br/>
कोई तो साएबान रहने दे!<br/><br/>

* साएबान - शामियाना  Upload to Facebook
    ये ज़मीं आसमान रहने दे;
    कोई तो साएबान रहने दे!

    * साएबान - शामियाना
    ~ Om Prakash Meghwanshi
  • फूल हँसे और शबनम रोई आई सबा मुस्काई धूप; <br/>
याद का सूरज ज़ेहन में चमका पलकों पर लहराई धूप!Upload to Facebook
    फूल हँसे और शबनम रोई आई सबा मुस्काई धूप;
    याद का सूरज ज़ेहन में चमका पलकों पर लहराई धूप!
    ~ Kaif Azimabadi
  • कब खुलेगा कि फलक पार से आगे क्या है;<br/>
किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है!Upload to Facebook
    कब खुलेगा कि फलक पार से आगे क्या है;
    किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है!
    ~ Tabish Kamal
  • मेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्त;<br/>
वामाँदा-ए-बहार हूँ घटिया कहे सो हूँ!<br/><br/>

*महरूमियाँ - deprivation<br/>
*वामाँदा-ए-बहार - fatigued of springUpload to Facebook
    मेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्त;
    वामाँदा-ए-बहार हूँ घटिया कहे सो हूँ!

    *महरूमियाँ - deprivation
    *वामाँदा-ए-बहार - fatigued of spring
    ~ Danish Nazeer Dani
  • माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम;<br/>
बस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम!Upload to Facebook
    माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम;
    बस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम!
    ~ P P Srivastava Rind
  • अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैं;<br/>
अच्छा है सीधा कर लूँ जो अपनी कमर को मैं!Upload to Facebook
    अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैं;
    अच्छा है सीधा कर लूँ जो अपनी कमर को मैं!
    ~ T N Raaz
  • अगर मैं सच कहूँ तो सब्र ही की आज़माइश है; <br/>
ये मिट्टी इम्तिहाँ प्यारे ये पानी आज़माइश है! Upload to Facebook
    अगर मैं सच कहूँ तो सब्र ही की आज़माइश है;
    ये मिट्टी इम्तिहाँ प्यारे ये पानी आज़माइश है!
    ~ Kaami Shah