इश्क Hindi Shayari

  • `ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,</br>
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।`Upload to Facebook
    "ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
    लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
    ~ Muzaffar Razmi
  • क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;</br>
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!Upload to Facebook
    क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;
    मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!
    ~ Mirza Ghalib
  • ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;</br>
रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।Upload to Facebook
    ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;
    रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।
    ~ Qamar Badayuni
  • मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;</br>
निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!</br>
*मुक़द्दस: पवित्र</br>
*अक़ीदत: श्रद्धाUpload to Facebook
    मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;
    निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!
    *मुक़द्दस: पवित्र
    *अक़ीदत: श्रद्धा
    ~ Mohammed Alvi
  • अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;</br>
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!Upload to Facebook
    अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;
    उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!
    ~ Mir Taqi Mir
  • भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;</br>
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।Upload to Facebook
    भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;
    ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है;</br>
वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।Upload to Facebook
    ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है;
    वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।
    ~ Mirza Raza Barq
  • बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ;</br>
तपती गर्मी में भी वादी के नज़ारे देखूँ!Upload to Facebook
    बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ;
    तपती गर्मी में भी वादी के नज़ारे देखूँ!
    ~ Sahiba Sheheryar
  • आने वाली है क्या बला सिर पर;</br>
आज फिर दिल में दर्द है कम कम!Upload to Facebook
    आने वाली है क्या बला सिर पर;
    आज फिर दिल में दर्द है कम कम!
    ~ Josh Malsiani
  • देख कर हम को न पर्दे में तू छुप जाया कर;</br>
हम तो अपने हैं मियाँ ग़ैर से शरमाया कर!Upload to Facebook
    देख कर हम को न पर्दे में तू छुप जाया कर;
    हम तो अपने हैं मियाँ ग़ैर से शरमाया कर!
    ~ Mushafi Ghulam Hamdani