मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी, तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है! |
ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है; उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है! |
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं; वो रंग है ही नहीं जो तेरे बदन में नहीं! |
इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया; जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है! |
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है; दर्द दिल का लिबास होता है! |
अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं; कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं! *अगरचे: बहरहाल, यद्यपि, हालाँकि |
हर एक रात को महताब देखने के लिए; मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए! *महताब: चाँद |
ज़ुबान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती; किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता! |
इश्क़ को एक उम्र चाहिए और; उम्र का कोई ऐतबार नहीं! |
जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें; ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही! |