अजीब नशा है होशियार रहना चाहता हूँ; मैं उस के ख़्वाब में बेदार रहना चाहता हूँ; ये मौज-ए-ताज़ा मेरी तिश्नगी का वहम सही; मैं इस सराब में सरशार रहना चाहता हूँ। |
चंद फाँसले हों दरमियाँ ये भी लाज़मी है; डरता हूँ अगर नज़दीकियाँ बढ़ गई तो; कहीं मोहब्बत ना हो जाए शख़्सियत से तेरी! |
तेरे मिलने की आस न होती; तो ज़िंदगी आज यूँ उदास न होती; मिल जाती कभी तस्वीर जो तेरी; तो हमको आज तेरी तलाश न होती। |
कब उनके लबों से इज़हार होगा; दिल के किसी कोने में हमारे लिए भी प्यार होगा; गुज़र रही हैं अब तो यह रातें बस इसी सोच में; कि शायद उनको भी हमारा इंतज़ार होगा। |
वो सामने आये तो अज़ब तमाशा हुआ; हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली। |
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना; यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे। |
लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया; जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया; पहले कहाँ ये नाज़ थे, ये इश्वा-ओ-अदा; दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया। |
जज़्बात मचलते हैं जब तुमसे मिलता हूँ; अरमान मचलते हैं जब तुमसे मिलता हूँ; साथ हम दोनों का कोई बर्दाश्त नहीं करता; जलती है देख कर दुनिया जब मैं तुमसे मिलता हूँ। |
करते हैं हम तुमसे मोहब्बत; हमारी खता यह माफ़ करना; है अगर बदनाम मोहब्बत हमारी; तुम प्यार को बदनाम मत करना। |
इस वहम में वो दाग़ को मरने नहीं देते; माशूक़ न मिल जाए कहीं ज़ेर-ए-ज़मीं और। |