ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो; नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें; अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें। |
हमसफ़र तो साथ-साथ चलते हैं; रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं; आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में; जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं। |
घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली; सारी गली उनकी फिराक मे निकली; इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से; और हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली। |
मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा; बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए। |
निकलते हैं तेरे आशियां के आगे से यह सोच कर कि तेरा दीदार हो जायेगा; खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा। |
चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं; मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं; बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो; इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं। |
साहिल पर खड़े-खड़े हमने शाम कर दी; अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी; ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी; बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी। |
आँखों मे आ जाते है आँसू; फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है; ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो; जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है। |
न हम कुछ कह पाते हैं, न वो कुछ कह पाते हैं; एक दूसरे को देखकर गुजर जाया करते हैं; कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला; ये सोचकर दिन गुजर जाया करते हैं। |
शायर तो हम है शायरी बना देंगे; आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे; कभी सुनाओ हमें अपनी आवाज़; आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे। |