जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें; आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें; ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया; वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें। |
खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है; मैं तेरे गम को ज़माने से छुपाऊं कैसे। |
दिल तड़पता रहा और वो जाने लगे; संग गुज़रे हर लम्हे याद आने लगे; खामोश नजरो से देखा जो उसने मुड कर; तो भीगी पलकों से हम भी मुस्कराने लगे। |
जाहिर नहीँ होने देता पर मैँ रोज रोता हूँ; और वो पानी मेरे घर से निकलता है; लोग कहते है एक बहता दरिया जिसे; वो दरिया मेरे शहर से निकलता है। |
जिन्हें सलीका है तहजीब-ए-गम समझने का उन्ही के रोने में आंसू नजर नही आते। |
हर बात पर नम हो जाती हैं आँखें मेरी अक्सर; जहाँ भर के अश्क खुदा मेरी पलकों में रख भूला। |
हुए जिस पे मेहरबां तुम, कोई खुशनसीब होगा; मेरी हसरतें तो निकली, मेरे आंसुओं में ढल के। |
सब हसीं चेहरे धोखेबाज़ होते हैं; इस बात का हमें पहले इल्म ना था; अब हुआ इल्म तो रो-रो दिल कहे; किया पहले किसी ने ऐसा जुल्म ना था। |
हजूम में था, वो खुल कर ना रो सका होगा; मगर यकीन है कि शब् भर ना सो सका होगा। |
दिल रोया पर आँखों को रोने ना दिया; सारी-सारी रात जागे खुद को सोने ना दिया; इतना करते हैं याद आपको; पर इस बात का एहसास आपको कभी होने ना दिया। |